1857 का विद्रोह (Revolt of 1857 ) in Hindi
1857 का विद्रोह (Revolt of 1857 ) in Hindi
1857 का विद्रोह (Revolt of 1857 ) in Hindi
नमस्कार दोस्तों, Top Daily GK में आपका स्वागत है ! दोस्तों आजकल हर प्रतियोगी परीक्षा में 1857 का विद्रोह (Revolt of 1857 ) से संबंधित प्रश्न पूछे जा रहे हैं जिनमें से अधिकतर प्रश्न में 1857 का विद्रोह (Revolt of 1857 )के दौरान भारत में गवर्नर जनरल की लागू नीतियों के बारे में पूछा जाता है | दोस्तों प्रतियोगी परीक्षा में प्रत्येक नंबर का महत्व होता है जो आपको सिलेक्शन तक लेकर जाता है इसलिए आज हम 1857 का विद्रोह (Revolt of 1857 ) के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं |
1857 का विद्रोह
1857 का विद्रोह
1857 के विद्रोह के दौरान ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया थी। महारानी विक्टोरिया (1837 से 1901) का कार्यकाल सबसे लंबा था। 1857 ईसवी के समय ब्रिटेन का प्रधानमंत्री पामस्टन था। 1857 के दौरान भारत में गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग था।
1857 का विद्रोह की तिथि 31 मई 1857 को नाना साहब तथा मौलवी अहमदुल्लाह शाह के द्वारा निश्चित की गई। लेकिन यह विद्रोह समय से पहले 10 मई 1857 से ही शुरु कर दिया गया। इस विद्रोह का चिन्ह कमल एवं रोटी (BPSC) था। मंगल पांडे ने ही इस विद्रोह की शुरुआत की इसलिए मंगल पांडे को इस विद्रोह का पहला विद्रोही माना जाता है। मंगल पांडे बैरकपुर छावनी में 34 वीं बटालियन का सिपाही था। बैरकपुर छावनी में अंग्रेजों द्वारा लाई गई एक Enfield राइफल की गोली में सूअर तथा गाय की चर्बी मिले होने की बात पूरे बैरकपुर में फैल गई। जिसके कारण मंगल पांडे तथा उनके साथियों द्वारा इसका भीषण विरोध किया गया। इस विरोध में मंगल पांडे ने 29 मार्च 1857 कोसार्जेंट मेजर को गोली मार दी। इस विरोध में ही मंगल पांडे ने मारो फिरंगी को नारा दिया। इसके बाद मंगल पांडे को 8 अप्रैल 1857 को फांसी दे दी गई।
इस विद्रोह का नेतृत्व भारत के कई जगहों से हुआ जो निम्न प्रकार है -
- दिल्ली से नेतृत्व बहादुर शाह जफर द्वारा किया गया लेकिन यह एकमात्र नेता था। लेकिन वास्तविक नेता बख्त खां था। जिसको अंग्रेजों की तरफ से हडसन और निकोलसन ने दबाया। इस विद्रोह को दबाते समय निकोल्सन की मृत्यु हो गई थी। इस विद्रोह के बाद बहादुर शाह जफर को म्यांमार की रंगून जेल में भेज दिया गया तथा 1862 में इसकी मृत्यु हो गई।
- कानपुर से नेता नाना साहब थे। जिनका वास्तविक नाम धंदूपंथ (SSC)था। इस विद्रोह को कैम्पबेल ने दबाया।
- ग्वालियर से नेतृत्व तात्या टोपे ने किया तात्या टोपे का वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग था।
- लखनऊ से नेतृत्व बेगम हज़रत महल अवध के नवाब वाजिद अली शाह की पत्नी ने किया। बेगम हज़रत महल की कब्र नेपाल में है। इस विद्रोह को भी कैम्पबेल ने दबाया।
- झांसी से नेतृत्व रानी लक्ष्मीबाई ने किया इस विद्रोह को ह्यूरोज (SSC,RRB)ने कुचला। रानी लक्ष्मीबाई गंगा राव की विधवा थी। रानी लक्ष्मीबाई ने यह विद्रोह अपने दत्तक पुत्र दामोदर राव के लिए लड़ा। रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु कालपी के युद्ध में हुई (RRB JE, NTPC) इनका वास्तविक नाम मणिकर्णिका था। जो बचपन में इनको मनु के नाम से जाना जाता था।
- इलाहाबाद से लियाकत अली ने नेतृत्व किया। इस विद्रोह को कर्नल नील ने दबाया।
- जगदीशपुर से नेतृत्व कुंवर सिंह (RRB) ने किया। इस विद्रोह को दबाने के लिए विलियम टेलर और विन्सेंट आयर ने कार्य किया। (SSC,UP SI) कुंवर सिंह इसीविद्रोह में 80 साल की उम्र में 80 किलो की तलवार से अंग्रेजों के सामने युद्ध किया।
- फतेहपुर से मौलवी अजीम उल्लाह नेतृत्व किया। अंग्रेजों की तरफ से जनरल रेनर्ड ने किया।
- फैजाबाद से नेतृत्व मौलवी अहमदुल्लाह ने किया।
- बरेली से नेतृत्व खान बहादुर खान ने किया।
- रेवाड़ी से नेतृत्व राव तुला राम नेतृत्व किया।
- मथुरा से नेतृत्व देवी सिंह ने किया।
- गोरखपुर से नेतृत्व गजाधर सिंह ने किया।
1858 का विद्रोह शुरू होने के कारण
(1) राज्य हड़प नीति (डॉक्ट्रिन ऑफ़ लैप्स)
इसकी शुरुआत लॉर्ड डलहौजी के द्वारा की गई। इस नीति के अंतर्गत गोद लेने की प्रथा पर रोक लगा दी गई और दत्तक पुत्र को उत्तराधिकारी के पद से वंचित कर दिया गया। इस नीति के अंतर्गत सबसे पहला राज्य सतारा (SSC) जो महाराष्ट्र में है को हड़पा गया। लॉर्ड डलहौजी ने अपने समय में 8 राज्यों को हड़पा।
(2) सहायक संधि प्रथा
सहायक संधि का जन्मदाता लार्ड वेलेजली को कहा जाता है लेकिन सहायक संधि का सर्वप्रथम प्रयोग डुप्ले (फ्रेंच) द्वारा किया गया। सहायक संधि 1798 में लार्ड वेलेजली द्वारा शुरू की गई क्योंकि उस समय भारत में अंग्रेजी कंपनी की स्थिति मजबूत नहीं थी। सहायक संधि को वेलेजली ने इसलिए शुरू किया क्योंकि अंग्रेज भारतीय प्रांत पर नियंत्रणरखने के साथ-साथ फ्रांसीसी प्रभाव को कम करना चाहते थे। सहायक संधि में शामिल होने वाला पहला राज्य हैदराबाद (SSC,RRB) था। जो 1798 में शामिल हुआ। सहायक संधि को स्वीकार करने वाला पहला मराठा सिंधिया था।
1857 का विद्रोह शुरू होने के आर्थिक कारण
(1) स्थाई बंदोबस्त नीति - स्थाई बंदोबस्त नीति 1857 विद्रोह का प्रमुख कारण थी। इस नीति को 1793 में लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा शुरू किया गया। इसके अंतर्गत अंग्रेजों द्वारा बिहार बंगाल तथा उड़ीसा क्षेत्र में 10/11 भाग लगान के तौर पर वसूल किया जाता था। इसे जमींदारी प्रथा के नाम से भी जाना जाता है.
(2) रैयतवाड़ी प्रथा - रैयतवाड़ी प्रथा को कर्नल रीड द्वारा शुरू किया गया लेकिन बाद में इसे लागू मुनरो द्वारा किया गया। इसके अंतर्गत अंग्रेज किसानों से उनकी उपज का आधा भाग लगान के तौर पर लिया जाता था।
(3) महालवाड़ी प्रथा - महालवाड़ी प्रथा को मैकेंजी द्वारा शुरू किया गया। इसके अंतर्गत अंग्रेज पूरे गांव से एक प्रकार का कर लेते थे।
1857 का विद्रोह में इतिहासकारों के विभिन्न मत
- वी डी सावरकर के अनुसार 1857 का विद्रोह एक सुनियोजित स्वतंत्रता संग्राम था तथा यह विद्रोह स्वतंत्रता की पहली लड़ाई थी। इंडियन वॉर फॉर इंडिपेंडेंस पुस्तक वी डी सावरकर द्वारा लिखी। वी डी सावरकर को 1904 में अभिनव भारत के नाम से जाना गया। इनको दो बार काले पानी की सजा मिली लेकिन यह तैरकर वहां से बच निकले।
- सर लॉरेंस के अनुसार 1857 का विद्रोह एक सिपाही विद्रोह था।
- बेंजामिन डिसरेली के अनुसार 1857 का विद्रोह राष्ट्रीय विद्रोह (SSC) था।
- आर सी मजूमदार के अनुसार 1857 का विद्रोह न ही प्रथम न ही राष्ट्रीय और न ही स्वतंत्रता की लड़ाई था।
- रीज के अनुसार धर्मांधों का ईसाइयों के विरुद्ध युद्ध था।
- होम्स के अनुसार बर्बरता और सभ्यता के बीच युद्ध था।
- जेम्स आउट्राम टेलर के अनुसार यह हिंदू मुस्लिम षड्यंत्र था
1857 का विद्रोह के असफल होने के कारण
- कुशल नेता का अभाव
- एकता का अभाव
- आधुनिक हथियारों की कमी
- एक उद्देश्य की कमी
- विद्रोह का समय से पहले शुरू हो जाना
1857 के विद्रोह के बाद भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया और भारत में ब्रिटिश क्राउन का शासन शुरू हो गया। क्राउन = ब्रिटेन की महारानी + संसद। गवर्नर जनरल को वायसराय कहा जाने लगा। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत पर प्रभुसत्ता 1858 वर्ष में प्राप्त की सरकार का कंपनी से सम्राट को अंतरण लॉर्ड कैनिंग द्वारा 1 नवंबर 1858 को इलाहाबाद के मिंटो पार्क में पढ़े गए महारानी विक्टोरिया की घोषणा पत्र द्वारा किया गया। लॉर्ड कैनिंग को भारत का अंतिम गवर्नर जनरल तथा पहला वायसराय कहा गया।
तो दोस्तों आशा करता हूं कि आपने 1857 का विद्रोह (Revolt of 1857 को अच्छे से पढ़ लिया होगा लेकिन फिर भी परीक्षा से पहले इनको बार-बार रिवाइज करते रहे ताकि जब भी परीक्षा में 1857 का विद्रोह (Revolt of 1857) से संबंधित कोई प्रश्न पूछा जाएगा तो आप सीधे ऑप्शन देखकर इनको आसानी से पहचान पाएंगे|
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