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गुप्त वंश ( Gupta Dynasty ) in Hindi

गुप्त वंश ( Gupta Dynasty ) in Hindi

 

गुप्त वंश ( Gupta Dynasty ) in Hindi

नमस्कार दोस्तों,  Top Daily GK  में आपका स्वागत है ! दोस्तों आजकल हर प्रतियोगी परीक्षा में वैदिक काल ( Vedic Period ) से संबंधित प्रश्न पूछे जा रहे हैं जिनमें से अधिकतर प्रश्न में पूर्व वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल के बारे में पूछा जाता है | दोस्तों प्रतियोगी परीक्षा में प्रत्येक नंबर का महत्व होता है जो आपको सिलेक्शन तक लेकर जाता है इसलिए आज हम वैदिक काल ( Vedic Period )  के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं |

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        गुप्त वंश ( Gupta Dynasty )

गुप्त वंश (319 ईस्वी से 550 ईसवी ) - गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था।

चंद्रगुप्त प्रथम - 

चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है। गुप्त वंश की पहली राजधानी गिरिव्रज और दूसरी राजधानी उज्जैन थी। चंद्रगुप्त प्रथम ने महाधिराजकी उपाधि को धारण किया चंद्रगुप्त प्रथम का विवाह लिच्छवि की राजकुमारीकुमार देवी से हुआ। चंद्रगुप्त प्रथम ने 320 ईसवी में गुप्त संवत् की स्थापना की। चंद्रगुप्त प्रथम ने चांदी की मुद्रा जारी की और उसे रुपयक कहा गया।

समुद्रगुप्त -

समुद्रगुप्त को इतिहासकार विन्सेंट ए स्मिथ ने भारत का नेपोलियन कहा। समुद्रगुप्त एक महान योद्धा, महान शासक, कवि और संगीतज्ञ था। इसलिए इसे कविराज भी कहा गया। तथा समुद्रगुप्त को लिच्छवि दौहित्र भी कहा गया। समुद्रगुप्त वीणा बजाने का शौकीन था। समुद्रगुप्त ने अश्वमेध यज्ञ करवाया। समुद्रगुप्त के शासनकाल में हरिषेण में उपस्थित थे।

हरिषेण ने ही प्रयाग प्रशस्ति की रचना की। प्रयाग प्रशस्ति में हरिषेण ने समुद्रगुप्त की उपलब्धियां का वर्णन किया। प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख का निर्माण अशोक ने करवाया था लेकिन इस प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त द्वारा लेख लिखवाए गए। जो कौशांबी में स्थित था बाद में अकबर ने इसे प्रयाग में स्थापित किया।

गुप्त काल में प्रसिद्ध पुस्तकों की रचना की गई जो निम्नलिखित है -

  1. विष्णु शर्मा द्वारा पंचतंत्र
  2. वात्स्यायन द्वारा कामसूत्र
  3. कामनंद[Kamandaka] द्वारा नीतिसार
  4. शूद्रक द्वारा मृच्छकटिकम्

➤समुद्रगुप्त के 2 पुत्र थे - रामगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय।


चंद्रगुप्त द्वितीय (375 ईस्वी - 415 ईस्वी)

चंद्रगुप्त द्वितीय को विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है। चंद्रगुप्त द्वितीय के पास विक्रमांक की उपाधि थी। चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपनी दूसरी राजधानी उज्जैन को बनाया। इसके शासनकाल में शिक्षा का बहुत महत्व था। चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में भी नवरत्न रहते थे। कालिदास एक महान संस्कृत विद्वान इनके दरबार में रहते थे। कालिदास को भारत का शेक्सपियर भी कहा जाता है

कालिदास की प्रमुख पुस्तके निम्न प्रकार है  
रघुवंशम, कुमारसंभव, ऋतुसंहार, अभिज्ञान शाकुन्तलम्, मेघदूत, मालविकाग्निमित्रम्


आर्यभट्ट एक महान गणितज्ञ इसी के समय में उपस्थित थे। आर्यभट्ट ने शून्य, पाई व दशमलव की खोज की थी। वराहमिहिर जो एक खगोल शास्त्र वैज्ञानिक थे। वराहमिहिर में पंचशील नामक पुस्तक लिखी थी और धनवंतरी जो एक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे। यह सभी इन के दरबार में उपस्थित थे। इन्हीं के शासनकाल में चीनी यात्री फाह्यान भारत में आया था। चंद्रगुप्त द्वितीय के काल को प्राचीन काल का स्वर्ण काल भी कहा जाता है इसके शासनकाल में कला वास्तुकला साहित्य विज्ञान और तकनीकी अपनी चरम सीमा पर थे। इसी के शासन काल के समय अजंता की गुफाओं का निर्माण वाकाटक शासकों द्वारा किया गया जो औरंगाबाद महाराष्ट्र में स्थित है। अजंता गुफा बौद्ध जैन धर्म और हिंदू धर्म से संबंधित है। लौह स्तंभ का निर्माण चंद्रगुप्त द्वितीय ने करवाया जिसे आज महरौली स्तूप के नाम से जाना जाता है।

कुमार गुप्त - 

हूणों का पहला आक्रमण कुमार गुप्त के शासनकाल में हुआथा। कुमारगुप्त ने बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की। प्राचीन काल का यह दूसरा विश्वविद्यालय था। इस विद्यालय में 12 वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने आग लगा दी थी। तक्षशिला सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। तक्षशिला विश्वविद्यालय वर्तमान स्थिति में पाकिस्तान के रावलपिंडी में स्थित है। तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना धर्मपाल द्वारा की गई।

स्कंदगुप्त स्कंदगुप्त ने ही भारत को हूणों के आक्रमण से बचाया था। इसके शासन काल में सुदर्शन झील का मरम्मत कराया गया।

भानु गुप्त - एरण अभिलेख का संबंध भानु गुप्त से है। विष्णु गुप्त गुप्त वंश का अंतिम शासक था।

एरण अभिलेख - 

एरण अभिलेख भानु गुप्त के अमात्य गोपराज के विषय में है। जो उस स्थान पर भानु गुप्त के साथ युद्ध में गया तथा वीरगति को प्राप्त हो गया गोपराज की पत्नी यहां सती हो गई। इसे एरण का सती अभिलेख भी कहा जाता है। एरण अभिलेख मध्य प्रदेश में स्थित है।

गुप्त काल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण काल भी कहा जाता है।गुप्त शासकों ने सबसे अधिक सोने के सिक्के जारी किए थे।गुप्त काल में स्वर्ण सिक्कों को दीनार कहा जाता था। तथा चांदी के सिक्के को रूप्यका कहा जाता था। भारत में मंदिर बनाने की कला गुप्त शासकों द्वारा शुरू की गई थी। गुप्त शासक वैष्णव धर्म को मानते थे। दशावतार मंदिर जो विष्णु भगवान का मंदिर है का निर्माण गुप्त शासकों द्वारा देवगढ़ उत्तर प्रदेश में किया गया। गुप्त काल की राजकीय भाषा संस्कृत थी। बाघ गुफा (मध्य प्रदेश) अजंता गुफा (औरंगाबाद) गुप्त काल में बनाई गई। कला एवं स्थापत्य का स्वर्णिम काल गुप्त काल को कहा जाता है।


तो दोस्तों आशा करता हूं कि आपने वैदिक काल ( Vedic Period ) को अच्छे से पढ़ लिया होगा लेकिन फिर भी परीक्षा से पहले इनको बार-बार रिवाइज करते रहे ताकि जब भी परीक्षा में वैदिक काल ( Vedic Period ) से संबंधित कोई प्रश्न पूछा जाएगा तो आप सीधे ऑप्शन देखकर इनको आसानी से पहचान पाएंगे|


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