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जैन धर्म और बौद्ध धर्म ( Jainism and Buddhism )

जैन धर्म और बौद्ध धर्म ( Jainism and Buddhism )

 

जैन धर्म और बौद्ध धर्म (Jainism and Buddhism)

नमस्कार दोस्तों,  Top Daily GK  में आपका स्वागत है ! दोस्तों आजकल हर प्रतियोगी परीक्षा में जैन धर्म और बौद्ध धर्म (Jainism and Buddhism) से संबंधित प्रश्न पूछे जा रहे हैं जिनमें से अधिकतर प्रश्न महावीर स्वामी और गौतम बुद्ध के बारे में पूछा जाता है | दोस्तों प्रतियोगी परीक्षा में प्रत्येक नंबर का महत्व होता है जो आपको सिलेक्शन तक लेकर जाता है इसलिए आज हम जैन धर्म और बौद्ध धर्म (Jainism and Buddhism)  के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं |

Jainism and buddhism

जैन धर्म और बौद्ध धर्म 

जैन धर्म

जैन धर्म में जैन गुरु को तीर्थंकर कहा गया है। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं। जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर का नाम ऋषभदेव है तथा जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर का नाम अरिष्ठनेमी है। 23वें तीर्थंकर का नाम पार्श्वनाथ था और 24 वे तीर्थंकर का नाम महावीर स्वामी है। महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक स्वामी कहा गया। जैन धर्म के तीर्थंकर को प्रतीक चिन्ह से दर्शाया गया है जो निम्नलिखित है -

★ ऋषभदेव - बैल

★ महावीर स्वामी - सिंह

★ पार्श्वनाथ - सर्प

महावीर स्वामी ज्ञातृक (Jantrik) जाति के थे। इनका वास्तविक नाम वर्धमान था। इनका जन्म 540 ईसा पूर्व में कुंडग्राम वैशाली (बिहार) में हुआ। महावीर स्वामी के पिता का नाम सिद्धार्थ था और माता का नाम त्रिशला था। जो लिछवी की राजकुमारी थी। महावीर स्वामी पत्नी का नाम यशोदा था तथा बेटी का नाम प्रियदर्शी था। इनके दामाद का नाम जमाली था तथा जमाली ही महावीर स्वामी के पहले शिष्य थे। 

महावीर स्वामी ने 30 वर्ष की अवस्था में घर को छोड़ दिया था और 12 वर्ष की आयु में गृह त्याग और तपस्या के बाद 42 वर्ष की आयु में बिहार में शाल्व पेड़ के नीचे ऋजुपालिका नदी के किनारे ज्ञान कीप्राप्ति हुई। भगवान महावीर स्वामी ने अपने उपदेश प्राकृत भाषा में दिए। महावीर स्वामी को ज्ञान को कैवल्य कहा गया। भगवान महावीर की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में 468 ईसवी पूर्व में पावापुरी (बिहार) में हुई।

➢ प्रथम जैन संगीति 300 ईसवी पूर्व में पाटलिपुत्र में की गई जिसकी अध्यक्षता स्थूलभद्र द्वारा की गई।

➢ प्रथम जैन सम्मेलन में जैन धर्म दो भागों में बंट गया।

  1. श्वेतांबर
  2. दिगंबर

(1) श्वेतांबर 

श्वेतांबर के नेता स्थूलभद्र थे जो सफेद कपड़े पहनते थे। श्वेतांबर परिवर्तन को समर्थन देते थे तथा इनके द्वारा मूर्ति पूजन का समर्थन किया गया। 

(2) दिगंबर 

दिगंबर के नेता भद्रबाहु थे जो कपड़े नहीं पहनते थे। दिगंबर द्वारा परिवर्तन को समर्थन नहीं दिया गया और इन्होंने महावीर जैन की मूर्ति को भी स्वीकार नहीं किया क्योंकि दिगंबर मूर्ति पूजन के समर्थक नहीं थे तथा दिगंबर द्वारा स्त्रियों के लिए मोक्ष संभव की स्थिति अस्वीकार किया गया क्योंकि दिगंबर वस्त्र को नहीं पहनते थे और यह महिलाओं के लिए सहज नहीं था।

जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ को अंग कहा जाता है। तथा जैन साहित्य को आगम कहा जाता है। जैन धर्म के प्रारंभिक इतिहास को कल्पसूत्र नामक पुस्तक में वर्णित किया गया है जिसकी रचना भद्रबाहु द्वारा की गई। जैन धर्म के तीन रत्न है -

  1. सम्यक दर्शन - सत्य में विश्वास
  2. सम्यक ज्ञान - वास्तविक ज्ञान
  3. सम्यक आचरण - सुख व दुख में समान चरण


जैन धर्म के अनुसार त्रिरत्न के द्वारा मुक्ति को प्राप्त किया जा सकता है। जैन धर्म के पांच महाव्रत निम्नलिखित है 

  1. सत्य 
  2. अहिंसा 
  3. अस्तेय(चोरी न करना) 
  4. अपरिग्रह(धन संचय न करना)
  5. ब्रह्मचर्य 

शुरुआत के 4 महाव्रत पार्श्वनाथ द्वारा दिए गए जबकि अंतिम महाव्रत जिसे ब्रह्मचर्य कहा जाता है यह महावीर स्वामी द्वारा दिया गया। महावीर स्वामी द्वारा दिए गए उपदेश प्राकृत(SSC,DSSSB)भाषा में थे। तथा महावीर स्वामी ने अपना पहला उपदेश राजगृह में दिया। जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथ को अंग कहा जाता है तथा अंग की संख्या 12 है। चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में जैन धर्म को अपना लिया था उसने भद्रबाहु से जैन धर्म की शिक्षा लेकर श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) 298 ईसा पूर्व में उपवास द्वारा अपने शरीर को त्यागा था।

दक्षिण भारत में सबसे प्रसिद्ध जैन केंद्र श्रवणबेलगोला को कहा जाता है यहां गोमतेश्वर की मूर्ति है गोमतेश्वर मूर्ति को बाहुबली मूर्ति के नाम से भी जाना जाता है। यहां प्रतिवर्ष महामस्तकाभिषेक त्यौहार मनाया जाता है। गोमतेश्वर मूर्ति की स्थापना चामुंडराय (गंग वंश) द्वारा की गई।

खजुराहो में स्थित जैन मंदिर चंदेल शासकों द्वारा बनाया गया राजस्थान में स्थित दिलवाड़ा मंदिर भी जैन मंदिर है। दिलवाड़ा मंदिर को विमल शाह (सोलंकी वंश) द्वारा बनवाया गया था।


बौद्ध धर्म

बौद्ध धर्म की स्थापना छठी शताब्दी ईसा पूर्व में गौतम बुद्ध के द्वारा की गई थी। बुद्ध का अर्थ ज्ञान प्राप्ति है। ज्ञान से प्रकाशित व्यक्ति को बुद्ध कहा जाता है। गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसवी पूर्व में कपिलवस्तु के लुंबिनी (नेपाल) नामक स्थान पर हुआ था।

इनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था। गौतम बुद्ध शाक्य जाति के थे। गौतम बुद्ध को एशिया का ज्योतिपुंज कहा जाता है। एडविन अर्नाल्ड ने अपनी पुस्तक में महात्मा बुद्ध को ज्योतिपुंज ( Light of Asia ) कहा। गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधनऔर इनकी माता का नाम महामाया था। महामाया की मृत्यु सिद्धार्थ के जन्म के 7 दिन बाद ही हो गई थी। सिद्धार्थ का पालन-पोषण उनकी सौतेली माता प्रजापति गौतमी ने की। उनकी पत्नी का नाम यशोधरा था और उनके पुत्र का नाम राहुल था। 

गौतम बुद्ध ने 29 वर्ष की अवस्था में घर छोड़ दिया और इस घटना को महाभिनिष्क्रमणके नाम से कहा गया। अलार कलाम गौतम बुद्ध के पहले गुरु थे। बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति 6 वर्ष की तपस्या के बाद 35 वर्ष की अवस्था में बिहार के बोधगया में पीपल के पेड़ के नीचे निरंजना नदी के किनारे और अरूबेला नामक पहाड़ी पर पूर्णमासी की रात को हुई। इनके ज्ञान प्राप्ति को निर्वाणकहा गया। गौतम बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए। बौद्ध धर्म में 3 रत्नों को उल्लेखित किया जाता है -

  1. बुद्ध 
  2. धम्म
  3. संघ 

बौद्ध धर्म के बारे में हमें ज्ञान त्रिपिटक (विनय, पिटक, सुत्तपिटक) से प्राप्त होता है। इन तीनों की भाषा पालि है।गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश उत्तर प्रदेश के सारनाथ में दिया जिसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहा गया। गौतम बुद्ध का जन्म स्थान अशोक मौर्य शासक द्वारा अपने रूम्मिनदेई स्तंभ नेपाल में लुंबिनी में स्थिति है इस स्तंभ में ब्राह्मी लिपि का प्रयोग किया गया है कमल और सांड का संबंध बुद्ध के जन्म से है जबकि घोड़ा गृह त्याग से संबंधित है, पीपल बोधि वृक्ष का संबंध ज्ञान से तथा पद चिन्ह व स्तूप का संबंध निर्वाण से है और स्तूप का संबंध मृत्यु है। इच्छा सब कष्टों का कारण है यह कथन बौद्ध धर्म से संबंधित है। 

बुद्ध के समकालीन शासकों में बिंबिसार, अजातशत्रु, उदायिन यह सभी थे। गौतम बुद्ध ने अधिकांश उपदेश श्रावस्ती (अयोध्या) में दिए। गौतम बुद्ध के सबसे प्रिय शिष्य आनंद थे। गौतम बुद्ध की पहली महिला शिष्य उनकी सौतेली माता प्रजापति गौतमी थी। गौतम बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की आयु में 483 ईसवी पूर्व में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुई। धातु से बने सिक्के सबसे पहले बौद्ध काल में प्रकट हुए जिन्हें पंचमार्क या आहत सिक्के कहा जाता था। आरंभिक बौद्ध साहित्य पालि भाषा में रची गई थी।

चार बौद्ध सम्मेलन विभिन्न शासकों के समय आयोजित की गई -

● प्रथम बौद्ध संगीति

प्रथम बौद्ध संगीति 483 ईसा पूर्व में राजगृह बिहार में महाकश्यप की अध्यक्षता में हुई और अजातशत्रु के शासनकाल में हुई। जो हर्यक वंश के शासक था।


● द्वितीय बौद्ध संगीति

दूसरी बौद्ध संगीति 383 ईसा पूर्व में बिहार के वैशाली में और सर्वकामी की अध्यक्षता में हुई और कालाशोक के शासनकाल में हुई। जो शिशुनाग वंश के शासक थे।


● तृतीय बौद्ध संगीति

तीसरी बौद्ध संगीति 251 ईसा पूर्व में बिहार के पाटलिपुत्र में मौर्य शासक अशोक के शासनकाल में आयोजित हुई। तथा मोग्गलिपुत्त की अध्यक्षता में हुई।


● चतुर्थ बौद्ध संगीति

चौथी बौद्ध संगीति कश्मीर के कुंडलवन में अश्वघोष और वासुमित्र की अध्यक्षता में हुई।तथा कुषाण वंश के शासक कनिष्क के शासनकाल में हुई। चौथी बौद्ध संगीति में बौद्ध धर्म 2 भागों हीनयान और महायान में विभाजित हो गया। हीनयान में बुद्ध को गुरु माना जाता था और यह मूर्ति पूजा के समर्थक नहीं थे। हीनयान रूढ़िवादी थे। जबकि महायान परिवर्तन के समर्थक थे। महायान के द्वारा गौतम बुद्ध को भगवान माना गया। महायान द्वारा महात्मा बुद्ध की मूर्तियों का प्रचलन शुरू हुआ जो गांधार शैली से बनी। जिसको आज गंधार कला के नाम से जाना जाता है। 


बौद्ध धर्म के पूजा स्थल को चैत्य कहा जाता है। और इनके द्वारा मूर्ति पूजा को समर्थन भी किया गया। कुछ समय बाद बौद्ध धर्म में एक और शाखा का निर्माण हुआ जिसका नाम वज्रयान था। इसमें जादू टोना और आडंबर का चलन शुरू हुआ जिससे बौद्ध धर्म का पतन इसके बाद होना शुरू हो गया।

बौद्ध धर्म में पालि भाषा में तीन पुस्तक को त्रिपिटककहा जाता है जो निम्न प्रकार है -

  1. सुत्त पिटक - सुत्तपिटक में महात्मा बुद्ध के उपदेश का संग्रह है।
  2. विनय पिटक - विनय पिटक में संघ के नियमों का उल्लेख किया गया है।
  3. अभिधम्म पिटक - अभिधम्म में बुद्ध के दार्शनिक विचार का उल्लेख किया गया।


तो दोस्तों आशा करता हूं कि आपने जैन धर्म और बौद्ध धर्म (Jainism and Buddhism) को अच्छे से पढ़ लिया होगा लेकिन फिर भी परीक्षा से पहले इनको बार-बार रिवाइज करते रहे ताकि जब भी परीक्षा मेंजैन धर्म और बौद्ध धर्म (Jainism and Buddhism) से संबंधित कोई प्रश्न पूछा जाएगा तो आप सीधे ऑप्शन देखकर इनको आसानी से पहचान पाएंगे|


दोस्तों अगर आपके मन में कोई भी सवाल हो तो आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं तथा अगर आपको हमारी पोस्ट पसंद आई है तो इसे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें


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